हरियाणा: रिकॉर्ड 19 हजार 633 क्यूसिक पहुंचा मारकंडा का जलस्तर, दो गांवों का संपर्क टूटा, खेतों में डूबी फसले

    मारकंडा में अब तक का सबसे ज्यादा पानी दर्ज किया गया है। गांव कठवा व तंगौर का संपर्क टूट गया है। सड़क से तीन फीट पानी बह रहा है।

    हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के शाहबाद मारकंडा में मारकंडा नदी में पिछले तीन दिनों से लगातार जलस्तर बढ़ रहा है। मंगलवार दोपहर यह 19 हजार 633 क्यूसिक तक पहुंच गया, जिससे नदी के साथ लगते खेतों एवं गांव में भी पानी पहुंच गया।

    फसलें पानी में डूब गई, जिनमें नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है। कठवा गांव का तंगौर गांव से संपर्क टूट गया है। दोनों गांवों को जोड़ने वाली मुख्य सड़क पर तीन फीट तक पानी बह रहा है। आसपास के लोगों को गांवों में भी पानी घुसने का भय सता रहा है।

    नदी में बरसाती पानी रविवार को आना शुरू हुआ था जो देर शाम तक बढ़ता रहा और सोमवार दोपहर तक जलस्तर 16 हजार क्यूसिक रहा तो मंगलवार को यह 19 हजार 633 तक पहुंच गया है, जिसके रात में और भी बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है।

    गेज रीडर रविंद्र कुमार ने बताया कि पहाड़ों पर बरसात चल रही है। इस सीजन में पहले 14 हजार 811 क्यूसिक पानी आया था, लेकिन अब की बार 19 हजार 633 क्यूसिक तक पहुंच गया है। मारकंडा नदी में मुलाना नदी से पानी आता है, क्योंकि यहां पर मारकंडा नदी, रून नदी, वेघना नदी व साढौरा नदी आपस में मिलती हैं, जिस कारण पानी भारी मात्रा में एकत्रित हो जाता है। इसे सुरक्षा की दृष्टि से आगे निकाला जाता है और यह पानी शाहाबाद की मारकंडा नदी में पहुंचता है। पहाड़ों पर झमाझम बरसात हो रही है।

    नदी का पानी निकटवर्ती गांव कलसाना, मलिकपुर, गुमटी, कठवा, मुगलमाजरा के इलाकों में नुकसान पहुंचता है और फसलों को नुकसान पहुंचाता है। मारकंडा नदी में पहाड़ों के पानी के साथ-साथ काला अम्ब व साढोरा नदी तथा वेघना नदी का भी पानी पहुंचता है। नदी का यह बरसाती पानी गांव अरुप नगर, गुमटी, दयाल नगर, मुगलमाजरा, मदनपुर व मोहनपुर आदि गांवों के अलावा अनेक डेरे भी बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं। जब भी मारकंडा नदी में ज्यादा पानी आता है तब ही कॉलोनीवासियों को इस की मार सहनी पड़ती है।

    फसलों को होगा ज्यादा नुकसान
    लगातार चली बरसात के कारण खेतों में पानी भरा है, लेकिन मारकंडा नदी के आसपास स्थित खेतों में व निचाई पर स्थित खेतों में पानी भर गया है। इससे फसलों को और ज्यादा नुकसान होगा। मारकंडा नदी का पानी मिट्टीयुक्त होता है जो कि मिट्टी फसलों पर जम जाती है और फसल को पूर्णतया बर्बाद कर देती है।

    कठवा व तंगौर का जनसंपर्क टूटा, बच्चे नहीं जा पाए स्कूल
    गांव कठवा के पूर्व सरपंच अमरिंद्र सिंह का कहना है कि मारकंडा नदी के लगते गांव कठवा का सड़क पर पानी भर जाने से तंगौर का संपर्क टूट गया है। जिसके चलते बच्चे भी स्कूल नहीं जा सके। यहीं नहीं झरौली खुर्द, मुगलमाजरा, कलसाना, गुमटी, मलिकपुर, मोहनपुर आदि गांवों के किसानों को बेमौसमी बरसात व बाढ़ के कारण फसली नुकसान उठाना पड़ता है, जिन्हें अभी भी भय बना हुआ है। उन्होंने बताया कि गांव कठवा की यह स्थिति काफी पुरानी है, जिसका हल न तो सरकार और न ही प्रशासन कर पाया है। इस बाढ़ के पानी के कारण फसल के साथ साथ बेजुबान पशुओं का चारा भी खराब हो जाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार या प्रशासन का कोई भी अधिकारी गांव का हाल चाल पूछने नहीं आता और न ही कोई सहायता मिलती है।

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