ओमिक्रॉन के केस 1.5 से 3 दिनों में दोगुना हो रहे, 10 देशों में बढ़ रहे कोरोना के मामले : सरकार

ओमिक्रॉन के मामले दुनिया में 1.5 से 3 दिनों में दोगुना हो रहे हैं. यह तेज संक्रमण के खतरे का दर्शाता है. हालांकि इससे ज्यादा गंभीर मरीजों के प्रति ज्यादा सतर्कता बरतने की आवश्यकता है.

नई दिल्‍ली : कोरोना के ट्रेंड को लेकर स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने शुक्रवार को प्रेस कान्फ्रेंस की. ओमिक्रॉन के मामले दुनिया में 1.5 से 3 दिनों में दोगुना हो रहे हैं. यह तेज संक्रमण के खतरे का दर्शाता है. हालांकि इससे ज्यादा गंभीर मरीजों के प्रति ज्यादा सतर्कता बरतने की आवश्यकता है. डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि सिर्फ बूस्टर डोज लगाने से कोरोना वायरस से मुक्ति का मंत्र नहीं है. वैक्सीनेशन महत्वपूर्ण है, साथ ही भीड़भाड़ से बचने, कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना अभी भी उतना ही ज्यादा महत्वपूर्ण है. उन्‍होंने बताया कि यूरोप, अमेरिका और अफ्रीकी महाद्वीप में 26 नवंबर से 23 दिसंबर से हर सप्ताह लगातार बढ़ रहे हैं, मगर एशिया में घट रहे हैं.

राजेश भूषण ने बताया कि भारत में दो सप्ताह से औसत नए केस 7 हजार के करीब हैं. दस हजार से नए केस पिछले चार सप्ताहों से आ रहे हैं. लेकिन हमें लगातार सतर्क रहना होगा. दुनिया ने कोरोना की चार लहर देखी हैं. भारत ने दो देखी हैं, सितंबर 2020 में और मई 2021 में. वैश्विक तौर पर पॉजिटिविटी रेट 6 पीसदी से ज्यादा है. भारत में यह 5.3 फीसदी है, लेकिन पिछले हफ्ते यह भारत में 0.6 फीसदी रहा है. केरल में पॉजिटिविटी रेट 6.1 और मिजोरम में 8.2 फीसदी है. यह चिंताजनक है. दोनों जगह बहुत ज्यादा पॉजिटिविटी रेट है.

इन दोनों राज्यों में कुल जांच में आरटीपीसीआर टेस्ट में 60-70 फीसदी की जगह कम टेस्ट हो रहे हैं. देश में 20 जिले ऐसे हैं, जहां केस पॉजिटिविटी 5 फीसदी से ज्यादा है और दस फीसदी से कम है. इनमें 9 जिले केरल और आठ मिजोरम में हैं. दो जिलों में 10 फीसदी से ज्यादा पॉजिटिविटी रेट है. यूरोप, नार्वे, कनाडा जैसे दस देशों में कोविड मामलों में ओमिक्रॉन के सबसे ज्यादा मामले हैं.डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि जिस रफ्तार से कोरोना फैलला है, उससे तीन गुना रफ्तार से ओमिक्रॉन वैरिएंट फैल रहा है. दुनिया के 108 देश में 1 लाख 51 हजार से ज्यादा मामले ओमिक्रॉन के सामने आए हैं. इनमें 26 मौतें हुई हैं. यह डेल्टा वैरिएंट से ज्यादा संक्रामक है. घर के भीतर और ओमिक्रॉन पॉजिटिव मरीजों के संपर्क में रहने वाले लोगों में इसके आने का खतरा ज्यादा रहता है.

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